अच्छे दिन या बुरे दिन: दस साल का सफर और आने वाले बदलाव
New Law of Modi: दोस्तों, नमस्कार। ‘अच्छे दिन’ का नारा और पूरी फिल्म दिखाने का वादा सुनकर आपके मन में उम्मीदों का सैलाब उमड़ा होगा। दस साल पहले ‘अच्छे दिन’ के इस नारे ने देश के भीतर कई सपनों को जन्म दिया था, लेकिन पिछले दस सालों में क्या हुआ, इसे याद करना जरूरी है क्योंकि New Law of Modi : कल के बाद और बुरे दिन आने वाले है! अब शायद हर व्यक्ति समझ चुका होगा कि अच्छे दिन का असली मतलब क्या होता है।
अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा और यह सवाल पूरी फिल्म का है। इस फिल्म का ट्रेलर आप पिछले दस सालों में देख चुके हैं, और बार-बार सोचते रहे हैं कि क्या अच्छे दिन का मतलब यही है। 2024 के लोकसभा चुनाव को याद कीजिए, जब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह तो सिर्फ ट्रेलर है, अब पूरी फिल्म दिखाई जाएगी। यह राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि हकीकत है। एक ऐसी हकीकत जिसमें बड़े-बड़े निर्णय निजी हाथों से लिए जाएंगे, यानी प्राइवेटाइजेशन की ऐसी स्थिति पैदा होगी जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी।
इस देश में करोड़ों मामले अदालतों में पड़े हुए हैं, लेकिन अब नया कानून आ रहा है और उसके तहत कल से नए मामलों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। पुलिस और अदालतों को लेकर जो सामान्य नागरिक डरता है, उसके लिए भी नई किताब तैयार की गई है, जो संसद से पास हो चुकी है और कल से लागू होगी।
निजीकरण का यह दौर देश के बजट के साथ जुड़ा हुआ है, जो साफ बताता है कि आने वाले वक्त में भारत को विकसित बनाने की दिशा में यह बजट कैसे योगदान देगा। आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि कहीं आप पीछे तो नहीं छूट गए और भारत आपसे आगे निकल गया है।
संसद में विधेयकों की बाढ़: जनता के लिए वरदान या अभिशाप?
तीसरी परिस्थिति संसद के भीतर उन विधेयकों को लेकर है, जिनसे किसान, मजदूर, और बड़े-बड़े बीमा कंपनियां प्रभावित होंगी। सोशल मीडिया पर जो लोग सरकार से सवाल पूछते हैं और आलोचना करते हैं, उनके लिए भी नया कानून लाने की तैयारी हो चुकी है।
अब संसद के भीतर और बाहर राजनीतिक दलों की ताकत कितनी होगी, यह देखना होगा, लेकिन सरकार तैयार है। हमें लगता है कि जब हम इस फिल्म के पन्ने आपके सामने खोलेंगे, तो आपके मन में मौजूदा परिस्थितियों को लेकर कई सवाल होंगे।
इस देश में माइनिंग लूट, लिंकर्स की लूट, और आर्म्स डील जैसे कई मुद्दे हैं। एजुकेशन सेक्टर में भी निजीकरण का खेल हो रहा है। हेल्थ सिस्टम हो या पानी देने की व्यवस्था, सब निजी हाथों में सौंपे जा चुके हैं। बैंकों से बड़े-बड़े लोग कर्ज लेकर भाग जाते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। वहीं किसान कर्ज न चुका पाए तो उसकी जमीन और पशुधन तक उठा लिया जाता है।
डिजिटल इंडिया के दौर में साइबर क्राइम बढ़ रहा है और हर साल करोड़ों का नुकसान होता है। जीएसटी स्कैम और फेक यूनिवर्सिटी जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। इस दौर में कोई डेटा भी एक्यूरेट नहीं मिलता। इस सबके बीच दलालों की एक पूरी कतार नजर आने लगी है।
क्या मोदी के वादे हकीकत बन पाएंगे? फिल्म का ट्रेलर और पूरी कहानी
अब जब हम ट्रेलर के बाद पूरी फिल्म दिखाने की बात कर रहे हैं, तो इसमें मोदी इकनॉमिक्स, मोदी डिप्लोमेसी और मोदी पॉलिटिक्स की तमाम बातें शामिल होंगी। इस फिल्म के पन्नों को खोलने का वक्त आ गया है, जिसमें अच्छे दिन या बुरे दिन क्या होने वाला है, इसका खुलासा होगा।
बीजेपी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बड़े निर्णय लिए जाएंगे। पिछले दस साल का अनुभव यही कहता है कि प्रधानमंत्री अपने वादों से पीछे नहीं हटते। इस बार कानूनी प्रक्रिया में बड़े परिवर्तन होने वाले हैं, जो जनता के हित में बताए जा रहे हैं। हालांकि, इन परिवर्तनों से अदालतों में लम्बित मामलों की संख्या भी बढ़ेगी।
New Law of Modi: आने वाले कानून और बजट: आपकी जिंदगी पर क्या होगा असर?
नए कानूनों में आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम के तहत बदलाव होने वाला है। इन बदलावों से कानूनी प्रक्रियाएं सरल होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन पुराने और नए मामलों के बीच उलझनों को दूर करने में मुश्किलें आ सकती हैं।
नए कानूनी परिवर्तन: अदालतों और पुलिस की प्रक्रियाओं में बड़े बदलाव
सरकार ने पूरी फिल्म दिखाने का वादा किया है, जिसमें आईपीसी और सीआरपीसी की धाराओं को नया रूप दिया जाएगा। इससे पुलिस, वकील, और अदालत की प्रक्रियाओं में बदलाव आएगा। सरकार का दावा है कि टेक्नोलॉजी के भरोसे चीजों का समाधान हो जाएगा।
दूसरी बड़ी बात यह है कि सरकार कुछ ऐसे बदलाव कर रही है जिससे देश बदलता हुआ नजर आए। बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारत लाने की योजना है, जिससे बिजली, बीज, और बीमा क्षेत्र में सुधार हो सके। सरकार डिजिटल इंडिया एक्ट भी लाने की तैयारी कर रही है, जिससे सोशल मीडिया पर आलोचना करने वालों को नियंत्रित किया जा सके।
डिजिटल इंडिया एक्ट और नई चुनौतियाँ: आपके अधिकारों पर क्या होगा प्रभाव?
इस दौर में सरकार चाहती है कि सब कुछ उनके अनुकूल हो। जो लोग सोशल मीडिया पर सरकार से सवाल करते हैं, उन्हें दबाने के लिए भी यह कानून सक्षम हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सरकार अपने बैरिकेड्स खड़ा कर सकती है।
इस दौर में सरकार चाहती है कि मीडिया भी टेलीविजन की तरह काम करे, जहां उसे आलोचना सहनी न पड़े। किसानों के लिए महंगे बीज और खाद खरीदना मुश्किल हो सकता है, और यदि वे ऐसा नहीं कर सकते, तो उन्हें किसानी छोड़नी पड़ेगी।
निजीकरण और नई नीतियां: बदलते भारत की तस्वीर
सरकार निजीकरण की दिशा में बढ़ रही है, जहां हर क्षेत्र को निजी कंपनियों के हाथों में सौंपा जा रहा है। बीमा, बिजली, और बीज विधेयकों के जरिए बड़ी कंपनियों को लाने की तैयारी है। बिजली बिल विधेयक के जरिए बिजली कंपनियों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है, जिससे जनता पर बोझ बढ़ सकता है।
इसे पढ़िए और सबसे पहले लाभ उठाइये
PM Kusum Yojana 2024: किसानों के लिए सुनहरा मौका, सोलर पंप पर मिलेगा 90% तक की सब्सिडी, जल्द करें आवेदन
किसानों के लिए भी सरकार की योजनाएं निजीकरण की दिशा में बढ़ रही हैं, जहां कॉर्पोरेट खेती का चलन बढ़ रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह निजीकरण जनता के हित में होगा?
महंगाई, बेरोजगारी और विकास: मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का विश्लेषण
सरकार की वेलफेयर स्कीम भी निजीकरण के हाथों में सौंपने की तैयारी है, जिससे इन्फ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, मेडिकल, और रेलवे जैसे क्षेत्रों में निजीकरण बढ़ेगा। इसके साथ ही टोल, सड़क, और अन्य सुविधाओं के लिए भी जनता से पैसा वसूला जाएगा।
सरकार की योजना है कि देश की बहुसंख्यक जनता वेलफेयर स्कीम पर निर्भर हो जाए, और बड़ी कंपनियां इस पैसे को निवेश करके मुनाफा कमाएं। यह सब कुछ एक ऐसे गवर्नेंस की ओर इशारा करता है, जहां जनता के पास दो ही विकल्प बचेंगे – एक, जिसके पास पैसा है और वह इस गवर्नेंस का हिस्सा बन जाएगा, और दूसरा, जिसके पास कुछ भी नहीं है और वह वेलफेयर स्कीम पर निर्भर होगा।
प्रधानमंत्री मोदी के वादे और जनता की उम्मीदें: दस साल बाद का विश्लेषण
इस बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया जा रहा है, जहां सरकार चाहती है कि बड़ी कंपनियां यहां निवेश करें और इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारें। सरकारी जिम्मेदारियों को निजी हाथों में सौंपकर सरकार जनता से पल्ला झाड़ना चाहती है।
भारत अब दुनिया के बाजार के लिए एक बड़ा बाजार बन रहा है, जहां निवेश के लिए सभी तैयार हो जाएं। इस दौर में सरकार चाहती है कि जनता निजीकरण के फायदे समझे और इसका समर्थन करे।
आशा है कि यह नया दौर देश को एक नई दिशा में ले जाएगा, लेकिन इसके लिए जनता को भी तैयार रहना होगा। धन्यवाद।